अहिंसा परमो धर्मः
हर व्यक्ति ये ही चाहता है कि उसे शांति मिले पर वो ये नहीं जनता कि उस शांति को पाने का मार्ग क्या है ? रास्ता तो हमें वह ही बता सकते हैं जिन्होंने उस शांति को प्राप्त किया है| लेकिन हमें उनके पास जाने का भी वक्त नहीं है| हम अपने रोज़मर्रा के कामों में इतने उलझ जाते हैं कि अपने लिए ही वक्त नहीं निकल पाते | हमें अपने बारे में चिंतन करने के लिए थोडा सा वक्त निकलना चाहिए कि हम कौन हैं ? यहाँ क्यों हैं ? क्या सिर्फ हमारे ही जीवन में ये तनाव और चिंता है? या कोई और भी हमारे तरह इस तनाव से ग्रसित है? और जिन्होंने इससे मुक्ति पा ली है उनका मार्ग क्या है? यदि हम इसका उत्तर खोजते हैं तो पाते हैं कि शांति कहीं और नहीं हमारे भीतर ही है, जिसे आज तक हम ही नहीं पा सके| हम बाह्य जगत में तो तलाश करते रहे पर अपने भीतर ही नहीं देख पाए| इस अंतर दर्शन को ही दस धर्मो के माध्यम से उन्होंने बताया है जो शान्ति रुपी लक्ष्मी के वर हैं, जिन्हें हम जिनवर कहते हैं| ये धर्मं ही है जो हमें दिखता है कि हमारे अन्दर क्या है, हमारे गुण क्या है और हम किस तरह उन गुणों को जाग्रत कर के मुक्ति को पा सकते हैं| ये दस धर्मं हमे उन गुणों को समझाते हैं जिन्हें हम भूल चुके हैं| हर एक धर्मं अपने आप कि पहचान करने की ओर एक नया कदम है| इन कदमो को क्षमा, मार्दव, आर्जव, सत्य, शौच, संयम, तप, त्याग, आकिंचन्य और ब्रम्हचर्य के रूप में परिभाषित किया गया है|
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment